Thursday, April 16, 2009

"तरही मुशैरा" में ये मिश्रा दिया गया था हार कर जैसे जुआरी को जुआरी देखे जिस पे मैंने ये ग़ज़ल कही है
आप सबकी नज़र चहुन्गीइ




वो उनकी प्रीत को मर्यादा पे हारी देखे
अपने बनवास को जो राम दुलारी देखे


रात भर वस्ल की आँखों में खुमारी देखे
चाँद की बग्गी में तारों की सवारी देखे


ऐसे जजमान को मन्दिर का पुजारी देखे
नर्म रोटी को जैसे कोई बिखारी देखे


अपने चेहरे को घंटों बैठ के आईने में
हर इक लड़की में छुपी राजकुमारी देखे


माना खामोश मगर आह तो निकले दिल से
सूखते फूल को जो गीली वो क्यारी देखे


क्या छुपे और हैं जौहर अभी जंजीरों में..??
अपनी किस्मत को नचा कर ये मदारी देखे


आए दिन देखे यूँ वो अपने भूखे बच्चो को
हार कर जैसे जुआरी को जुआरी देखे


रो पढ़े खून के आंसू वो खुदा जन्नत से
जब ज़मीनों के लिए लड़ते अनारी देखे


क्या ये तस्वीर इतनी जल्दी बदल जानी थी
टूटता महल यूँ दीवार किवारी देखे


हो गए गैर तेरे साथ सभी मंज़र भी
न मुझे घर मेरा न मेरी अटारी देखे


मौत आए भी तगादा भी करे पुरशिश भी
के वो हर जिस्म में साँसों की उधारी देखे


‘माह’ का मोम अमावास में पिघल जाना था
कौन साबुत है के जो राह तुम्हारी देखे

14 comments:

gazalkbahane said...

रात भर वस्ल की आँखों में खुमारी देखे
चाँद की बग्गी में तारों की सवारी देखे

अपने चेहरे को घंटों बैठ के आईने में
हर इक लड़की में छुपी राजकुमारी देखे

बहुत सुन्दर कल्पना हैं आपकी !बधाई

कविता या गज़ल में हेतु मेरे ब्लॉग पर ्सादर आमंत्रण है आपको
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
हां खुदा के लिये वर्ड वेरिफ़िकेश्न हटाएं

सुभाष नीरव said...

Bahut sunder gazal ! kai sher to dil mein utar gaye. Badhayee !

Shikha Deepak said...

बहुत सुंदर...........प्रत्येक पंक्ति एक से बढ़ कर एक............दिल को छू लिया आपने।

Udan Tashtari said...

बहुत सुंदर.

आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.

एक निवेदन:

कृप्या वर्ड वेरीफीकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी देने में सहूलियत हो. मात्र एक निवेदन है बाकि आपकी इच्छा.

वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानो!!.

Anonymous said...

श्रेष्ठ काव्य - रचना .. आज जब छंदमुक्त कविता के नाम पर उच्छिष्ट प्रस्तुत करने वालो की भीड़ में आप शुद्ध काव्य सेवा कर रहीं ..धन्यवाद

श्यामल सुमन said...

अपने चेहरे को घंटों बैठ के आईने में
हर इक लड़की में छुपी राजकुमारी देखे

सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति। बधाई।

एक दूजे को मात देने की जारी हैं कोशिशें।
जंगे चुनाव में एक से एक खिलाड़ी देखे।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

bahut hi shaandaar........sach....!!

नदीम अख़्तर said...

अति स‌ुन्दर, इतनी अच्छी रचना कि कोई पढ़नेवाला बिना तारीफ किये, रवाना हो ही नहीं स‌कता। वैसे स‌मीर जी (उड़नतस्तरी) ने आपसे जो गुजारिश की थी, वही मैं भी कर रहा हूं। कृपया कमेंट स‌े वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। इसे हटाने के लिए आप जायें - डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुनें। शुक्रिया।
रांचीहल्ला

अनिल कान्त said...

दिल को छू लिया ...
आपका और आपके इस ब्लॉग का स्वागत है

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

दिगम्बर नासवा said...

रात भर वस्ल की आँखों में खुमारी देखे
चाँद की बग्गी में तारों की सवारी देखे

ऐसे जजमान को मन्दिर का पुजारी देखे
नर्म रोटी को जैसे कोई बिखारी देखे

माना खामोश मगर आह तो निकले दिल से
सूखते फूल को जो गीली वो क्यारी देखे

बहुत बहुत खूबसूरत ग़ज़ल.............हर शेर लाजवाब, ख्यालों को सुन्दर शब्दों में पिरोया हो आपने

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan....narayan...narayan

Purnima said...

bahut bahut shukriyaa aap sab ka
aap sab ko meri rachnaa pasand aayi mujhe behad khushi huii
:)

अजय कुमार झा said...

pehlee gujarish ye ki yadi anyatha na lein to aapkaa blog template bada kathin hai, sundar hai magar chunki dark hai us par likhaa huaa bhee gehre rang kaa thodee kathinaayee huee. s
swagat hai parivaar mein,
likhte rahein koi padh raha hai..

mastkalandr said...

कोई न कोई हर एक शेर में है बात ज़रूर ,
हजरते-वाईज मजमा-ए-आफतजदगां है ज़रुर. मक्
आपका स्वागत है ,
हमारी शुभकामनाए सदा आपके साथ है
खूब लिखिए बेहतर लिखिए ..मक्